बीजापुर में 22 शवों का खौफनाक सच: ऑपरेशन संकल्प के पीछे क्या है कहानी?
बीजापुर, छत्तीसगढ़, 11 मई 2025 | Koya Times विशेष रिपोर्ट
लेखक: संजय, बस्तर संवाददाता: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में एक तस्वीर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। 7 मई 2025 को एक खुले मैदान में 22 शव तिरपाल पर पड़े थे, जिनके चारों ओर सुरक्षाकर्मी और स्थानीय लोग मूकदर्शक बने खड़े थे। यह दृश्य ऑपरेशन संकल्प का हिस्सा था, जिसे बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान बताया जा रहा है। लेकिन इस मुठभेड़ ने सवालों का ऐसा तूफान खड़ा किया है कि हर कोई जवाब की तलाश में है: ये 22 लोग कौन थे? नक्सली, सुरक्षाकर्मी, या मासूम आदिवासी? Koya Times की यह खास रिपोर्ट आपको इस घटना के हर पहलू से रूबरू कराएगी।
ऑपरेशन संकल्प: नक्सलियों पर नकेल या विवादों का जाल?
Koya Times की पड़ताल के मुताबिक, ऑपरेशन संकल्प 21 अप्रैल 2025 को शुरू हुआ था, जिसमें 28,000 सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर करेगुट्टा हिल्स के पास हुई इस मुठभेड़ में 22 लोग मारे गए, जिन्हें सरकार नक्सली बता रही है। द इंडियन एक्सप्रेस और एबीपी लाइव की रिपोर्ट्स के हवाले से, इस अभियान में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG), बस्तर फाइटर्स, स्पेशल टास्क फोर्स (STF), और CRPF की कोबरा इकाई ने हिस्सा लिया।
सुरक्षाबलों ने 40 हथियार, 400 से ज्यादा आईईडी, दो टन विस्फोटक, और छह टन राशन-दवाइयां जब्त कीं। 800 वर्ग किलोमीटर के दायरे में चल रहे इस ऑपरेशन ने नक्सली ठिकानों को तहस-नहस कर दिया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (
@vishnudsai
) ने इसे बड़ी कामयाबी बताते हुए कहा, “हमारी सेना ने करेगुट्टा हिल्स में नक्सलियों को करारा जवाब दिया है। 22 से ज्यादा शव बरामद हुए हैं।” केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (@AmitShah
) ने भी इसे नक्सलवाद के खिलाफ “निर्णायक कदम” करार दिया, जो मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने के उनके लक्ष्य का हिस्सा है।सवालों के घेरे में मृतकों की पहचान
लेकिन इस “सफलता” की कहानी में कई पेंच हैं। Koya Times ने स्थानीय सूत्रों और X पर चल रही चर्चाओं का विश्लेषण किया, जिसमें गंभीर सवाल उठ रहे हैं। क्या ये 22 लोग वाकई नक्सली थे? कुछ लोग इन्हें सुरक्षाकर्मी बता रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि ये आदिवासी ग्रामीण थे, जो मुठभेड़ में फंस गए। X पर एक यूजर
@nandinisundar
ने दावा किया कि उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा (@VijaySharmaCG
) ने इन हत्याओं से इनकार किया, जबकि शव बीजापुर के शवगृह में हैं। यह विरोधाभास लोगों का गुस्सा भड़का रहा है।बस्तर के आदिवासी समुदायों के बीच डर का माहौल है। कई लोग मानते हैं कि नक्सल विरोधी अभियानों के नाम पर आदिवासियों को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि ये आरोप अभी साबित नहीं हुए, लेकिन मृतकों की पहचान न बताए जाने से शक गहरा रहा है। Koya Times ने बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी (
@SundarrajP
) से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।जनता की नाराजगी, नेताओं पर दबाव
22 शवों की तस्वीर ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। X पर लोग सीधे नेताओं से सवाल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री साय से पूछा जा रहा है कि क्या उनकी सरकार आदिवासियों की अनदेखी कर रही है? गृह मंत्री शाह से लोग जानना चाहते हैं कि क्या यह मुठभेड़ उनकी नीति का हिस्सा है, या अनियंत्रित हिंसा का नतीजा? उपमुख्यमंत्री शर्मा, जो गृह मंत्री भी हैं, पर ऑपरेशन की निगरानी को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (
@narendramodi
), जो बस्तर में विकास की बात करते हैं, से लोग पूछ रहे हैं कि ऐसी घटनाएं उनके “शांतिपूर्ण बस्तर” के सपने को कैसे प्रभावित करेंगी। इस साल छत्तीसगढ़ में 168 नक्सलियों के मारे जाने की खबर है, जिनमें 151 बस्तर से हैं। लेकिन “नक्सल विरोधी जीत” की बात अब उन लोगों से टकरा रही है, जो आदिवासी जीवन को होने वाले नुकसान से डरे हुए हैं।बस्तर का दर्द और सच्चाई की तलाश
Koya Times की ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि बस्तर का जंगल लंबे समय से नक्सलियों, सुरक्षाकर्मियों और स्थानीय लोगों के बीच जंग का मैदान बना हुआ है। ऑपरेशन संकल्प में 35 मुठभेड़ें हो चुकी हैं, और 213 नक्सलियों की गिरफ्तारी के साथ 203 ने आत्मसमर्पण किया है। लेकिन छह सुरक्षाकर्मियों के घायल होने और आदिवासियों के डर ने इस अभियान की कीमत को उजागर किया है।
क्या है आगे की राह?
Koya Times का मानना है कि नक्सलवाद से लड़ाई जरूरी है, लेकिन आदिवासियों का भरोसा जीतना भी उतना ही अहम है। बीजापुर के 22 शव न केवल एक मुठभेड़ की कहानी बयां करते हैं, बल्कि बस्तर के दर्द और उसकी जटिल सच्चाई को भी सामने लाते हैं। सरकार ने वादा किया है कि “उचित समय” पर पूरी जानकारी दी जाएगी, लेकिन तब तक सवाल बरकरार हैं: ये 22 लोग कौन थे? क्या ऑपरेशन संकल्प नक्सलवाद को खत्म करेगा, या बस्तर के लोगों का दुख बढ़ाएगा?
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स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस, एबीपी लाइव, द वीक, द ट्रिब्यून, एएनआई, और X पर पोस्ट।
नोट: यह लेख Koya Times की संपादकीय नीति के तहत लिखा गया है। आदिवासियों को निशाना बनाने के आरोप अपुष्ट हैं और आगे की जांच की जरूरत है।
नोट: यह लेख Koya Times की संपादकीय नीति के तहत लिखा गया है। आदिवासियों को निशाना बनाने के आरोप अपुष्ट हैं और आगे की जांच की जरूरत है।